लघुता से प्रभुता मिले, 2024 मे सक्सेस पाने का आसान तरीका जानने के लिए पुरा आर्टिकल पड़े

आजके भाग दौर भारी जिंदगी मे हम केवल अपने आप् को आगे रखने की दौर मे भागे जा रहे है । खुद को ऊंचा दिखाने मे लगे है । जिसके चलते कभी कभी हम अहंकार के वशिभूत भी हो जाते है। लघुता से प्रभुता मिले कैसे हम भूल जाते है, हम भूल जाते है की हमारी संस्कृति हमे किया सिखाती है। ऐसी हि एक संत कवीर जी की दोहा जो हमे जीवन की इस पराव को पार करने मे मदद करते है,

घुता से प्रभुता मिले, प्रभुता से प्रभु दूरी।

चिंटी शककर लै चलि, हाथी के सिर धुरी।

लघुता से प्रभुता मिले
लघुता से प्रभुता मिले

कबीर कहते हैं कि लघुता से प्रभुता मिले, मतलब हमें अपना बड़प्पन बनाए रखकर हमेशा छोटा बनकर रहना चाहिए। छोटा बनने का तात्पर्य विनम्र रहने से है। विनम्रता दिखाने से सभी लोगों में मान बढ़ता है। स्वयं को विनम्र और लघु बनाकर रखने से ही ईश्वर की प्राप्ति होती है। मन में अहंकार की भावना रखने से ईश्वर की प्राप्ति नहीं हो सकती। बिल्कुल उसी प्रकार जिस तरह चींटी विनम्र है, इसलिए उसे शक्कर मिलती है। हाथी को अपने विशाल आकार पर अहंकार होता है, इसी कारण वह अपनी सूंड से धूल उठाकर अपने सिर पर डालता रहता है। इसलिए छोटा होकर और विनम्र होकर बड़े ऊंचे लक्ष्य को पाया जा सकता है, अहंकारी बनकर सीधा पतन का रास्ता ही मिलता है।

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